राजस्थान के पाली जिले का निंबली गांव इन दिनों एक नई मिसाल कायम कर रहा है। यहां का एक प्राचीन मंदिर आज न सिर्फ़ धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है, बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक भी बन चुका है।
धर्म से ऊपर उठी आस्था
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, इस स्थान पर वर्षों से दोनों धर्मों के लोग मिलजुल कर आते रहे हैं, और यह परंपरा आज भी जीवित है। न कोई भेदभाव, न कोई अलगाव — बस एक साझा श्रद्धा।
ओरण बचाने की पहल
हाल ही में गांव में ओरण (पवित्र जंगल क्षेत्र) को बचाने को लेकर एक बड़ा सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया और प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिया। ओरण न केवल पर्यावरण का रक्षक है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और आस्था से भी गहराई से जुड़ा है।
कार्यक्रम में वृक्षारोपण, लोकगीत, जागरूकता रैली और पंचायती संवाद जैसे आयोजन शामिल थे।
इस पहल का उद्देश्य सिर्फ जंगल को बचाना नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और हरित भविष्य बनाना है।
सौहार्द और संरक्षण का संदेश
निंबली गांव का यह उदाहरण पूरे देश के लिए प्रेरणा है। जब धर्म एकता का माध्यम बनता है और समाज पर्यावरण की जिम्मेदारी को समझता है, तभी सच्चा विकास संभव होता है।
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तो आइए, निंबली गांव से सीखें – जहां मंदिर सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि प्यार, भाईचारे और प्रकृति की रक्षा का भी स्थान है
