राजस्थान पुलिस के अंदर एक ऐसी सुपर पुलिस है जिसकी कहानी और कारनामे जानकर दंग रह जाएंगे. इस टीम ने कई कुख्यात अपराधियों को पकड़कर अपनी काबिलियत का परिचय दिया है. इन अपराधियों पर शिकंजा कसना आसान नहीं था. कई अपराधी तो 20 साल से हाथ नहीं लगे थे. ऐसे ही अपराधियों के लिए यह खास पुलिस टीम काम करती है. कभी मजदूर बनकर, कभी नारियल बेचने वाला तो कभी गैस एजेंसी का हॉकर बनकर इस स्पेशल टीम के सदस्यों ने शातिर अपराधियों को पकड़ा है.
पुलिस के लिए चुनौती बने ये वो अपराधी है जो बहुत ही शातिर और खतरनाक है. इनमें ओमप्रकाश ढाका, किरण जाट, भंवरी बिश्नोई, संगीता बिश्नोई, छम्मी बिश्नोई, वर्षा बिश्नोई पिछले दिनों पकड़ में आए ये वो अपराधी हैं, जिनमें कोई रीट-2021 पेपर लीक तो कोई SI भर्ती पेपर लीक मामले में फरार चल रहा था. ये अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में छिपकर बैठे थे. कोई पुणे में छिपकर बैठा था तो कोई बार-बार पुलिस को चकमा दे रहा था.
अब तक 30 ऑपरेशन को दे चुकी है अंजाम
राजस्थान पुलिस की इस सुपर टीम का नाम है ‘साइक्लोनर’. ये टीम अकेली नहीं है. सबसे खतरनाक और रिस्क वाले ऑपरेशन को अंजाम देना होता है तो टीम ‘स्ट्रॉन्ग’ और टीम ‘टॉरनेडो’ भी है. अब तक तीनों टीमें मिलकर 30 ऑपरेशन को पूरा कर चुकी हैं. टीम के हर ऑपरेशन का नाम यूनिक होता है. जैसे ऑपरेशन लल्लनटॉप, ऑपरेशन टटपुंजिया, ऑपरेशन डॉक्टर फिक्सिट, ऑपरेशन डीप ब्लू. इन सबके पीछे जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार की मेहनत और उनकी दूरदर्शिता है. जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार के सरकारी आवास का नजारा कुछ और है. यहां रेंज की पुलिस की 3 विशेष टीमों की चहल-पहल रहती है. उनके वायरलेस सेट पर दिनभर ऐसी सूचनाएं आती हैं ऑपरेशन जुगनू टीम 4 नारियल का इंतजाम हो गया है.
क्यों पड़ी स्पेशल टीम की जरूरत?
आईजी विकास कुमार बताते हैं- शातिर और बड़े अपराधी अक्सर पुलिस की पकड़ से बच निकलते हैं. इसकी वजह यह भी है कि स्थानीय थानों की पुलिस के पास गश्त से लेकर अन्य मामलों में व्यस्तता होती है. वे ऐसे अपराधियों की छानबीन और पर्याप्त मॉनिटरिंग नहीं कर पाते. इसी का फायदा अपराधी उठाते आए हैं. पकड़े गए कई अपराधी इतने शातिर थे कि 20 साल से चकमा दे रहे थे. ऐसे अपराधियों को नॉर्मल एक्टिविटी में पकड़ पाना काफी मुश्किल होता है. क्योंकि इनका रेगुलर पीछा करना होता है. इसलिए इनके सिंडिकेट को तोड़ने के लिए यह टीम बनाई गई. टीम को तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया, जिसमें एक टीम का नाम ‘साइक्लोनर’ दूसरी का ‘टॉरनेडो’ और तीसरी टीम का ‘स्ट्रॉन्ग’ रखा गया. तीनों ही टीम के पास अलग-अलग काम हैं. ये टीमें जोधपुर रेंज के चार जिलों की सीधी मॉनिटरिंग करती हैं. ये आईजी लेवल पर बनाई गई प्रदेश की पहली टीम है.
हर टीम का अलग-अलग काम
साइक्लोनर : इस टीम का काम टेक्निकल इंटेलिजेंस एनालिसिस और ऑपरेशन की प्लानिंग करना है.
स्ट्रॉन्ग टीम : ये पहले से चिन्हित टारगेट पर निगरानी रखती है. शातिर अपराधियों की पीछा करती है।
टॉरनेडो टीम : सबसे जोखिम भरे ऑपरेशन और डेयरडेविल कामों को अंजाम के लिए बनाई गई है.
टीम का ऐसे हुआ चयन?
आईजी विकास कुमार बताते हैं टीम में उन पुलिसकर्मियों का चयन किया गया जो किसी भी तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने की योग्यता पर खरे उतरते हैं. सबसे पहले आवेदन मांगे गए. इसके बाद उनकी योग्यता, अनुभव और रुचि के आधार पर बोर्ड गठित कर इंटरव्यू लिया गया. इसके बाद जोधपुर रेंज के अलग-अलग थानों से करीब 30 सदस्यों का चयन किया गया. फिर तीन टीमों में बांटा. प्रत्येक टीम में 10-10 सदस्य हैं.
आईजी ने अपने बंगले पर ही बनवाया साइक्लोनर टीम का ऑफिस
प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए जोधपुर रेंज आईजी ने अपने बंगले पर ही साइक्लोनर टीम का ऑफिस तैयार करवाया. यहीं पर बैठकर देश भर में फरार हुए अपराधियों को पकड़ने के लिए मॉनिटरिंग भी की जाती है और अभियान में टारगेट को चिह्नित किया जाता है.
