Jaisalmer : राजस्थान के जैसलमेर की फतेहगढ़ तहसील स्थित गुहड़ा में गुरुवार को संत शिरोमणि श्री 1008 संत सदाराम महाराज के नवनिर्मित मंदिर का उद्घाटन हुआ. इस समारोह में सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, मंत्री जोगेश्वर गर्ग, पुखराज गर्ग, स्वरूप सिंह खारा, प्रकाश माली, पवन सिंह और तारातरा मठाधीश प्रतापपुरी महाराज समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.
संत सदाराम के समाधि स्थल को सादुल धाम के नाम से जाना जाता है. महारावल केसरसिंह जैसाणा के सद्गुरुदेव की इस तपोभूमि पर सादुल धाम गुहड़ा में मंदिर का निर्माण किया गया था जिसका उद्घाटन सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में हुआ. इसके साथ ही मंदिर में भागवत कथा का पाठ भी शुरू हुआ.
पाकिस्तान में भी पूजे जाते हैं सदाराम महाराज
सूफी संत शिरोमणि बाबा सदाराम राजस्थान के एक लोक संत हैं. उनकी पूजा सम्पूर्ण राजस्थान, गुजरात व छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पाकिस्तान में भी की जाती है. इनके समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल चतुर्थी को भव्य मेला लगता है जहां पर देश भर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
जैसलमेर के राजा ने संत सदाराम को बना लिया था अपना गुरु
संत सदाराम के पास चमत्कारी शक्तियां थी और इस वजह से उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी. किंवदंती के अनुसार, सदाराम महाराज ने जैसलमेर के तत्कालीन शासक केसरसिंह को चमत्कार दिखाया था. केसरसिंह ने जैसलमेर के दरबारी को किताब लेने गुहड़ा गांव भेजा. जैसे ही दरबारी गुहड़ा आता है तो उसे सदाराम महाराज अपने घर पर बैठे हुए मिलते हैं. वह दरबारी को किताब देते हैं और वह उनके चरणों में गिर जाता है. जैसे ही दरबारी जैसलमेर दरबार में पहुंचता है तो वहां पहले से सदाराम महाराज बेठै थे. वो किताब सदाराम महाराज को देते हुए नमस्कार करता है और केसरसिंह को यह बात बताता है लेकिन उन्हें विश्वास नहीं होता. तभी सदाराम महाराज शेर का रूप धारण कर लेते हैं जिससे केसरसिंह के साथ सारे दरबारी डर जाते हैं और उनसे माफी मांगते हैं. फिर सदारामज महाराज ने श्री कृष्ण भगवान का रूप धारण कर सबको दर्शन दिए. इसके बाद केशरीसिंह ने सदाराम महाराज को अपना गुरु बनाते हुए गद्दी प्रदान की और 24 गांवों की जागीर उन्हें सौंप दी.
