Barmer : कौन हैं बाड़मेर के अजयपाल जो जेएनयू में लड़ रहे छात्रसंघ चुनाव

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Barmer : बाड़मेर जिले के छोटे से गांव ‘तानु’ से निकले एक साधारण किसान परिवार के बेटे ने दिल्ली की सबसे चर्चित यूनिवर्सिटी जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव में ताल ठोक दी है. नाम है अजयपाल. वायुसेना में अग्निवीर रह चुके अजयपाल ने जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में काउंसलर पद के लिए नामांकन दाखिल किया है. अजयपाल की कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है. जो सिपाही कभी वायुसेना में अग्निवीर बनकर देश की हिफाज़त करता था, आज किताबों और विचारों की ताकत से जेएनयू में छात्र हितों के लिए संघर्ष कर रहा है.

अजयपाल ने संघर्ष करना बचपन में ही सीख लिया था. उनका जन्म उस मिट्टी में हुआ, जहां पानी की एक-एक के लिए लोग संघर्ष करते हैं. गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई, घर में किसानी का संघर्ष, और फिर अग्निवीर बनकर देश सेवा का जज़्बा. लेकिन अजयपाल ने देखा कि असली जंग तो कैंपस में है, जहां विचारों को दबाया जा रहा है, जहां शिक्षा को कॉरपोरेट्स के हवाले किया जा रहा है. इसलिए उन्होंने वर्दी उतारी, किताबें उठाईं, और जेएनयू में कदम रखा.

काउंसलर पद के लिए किया नामांकन

जेएनयू वो यूनिवर्सिटी है जहां विचार पैदा होते हैं, जहां न्याय और हक की लड़ाई के लिए बहसें होती हैं. इसी यूनिवर्सिटी में अजयपाल ने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी SFI के बैनर तले काउंसलर पद के लिए नामांकन दाखिल किया है. अब वह लाखों युवाओं की आवाज बन चुके हैं. अजयपाल ने खुले मंच से बीजेपी और आरएसएस पर जेएनयू को बर्बाद करने का इल्ज़ाम लगाते हुए कहा है कि पीएचडी एडमिशन से लेकर फैकल्टी की भर्ती तक, हर जगह एक खास विचारधारा थोपी जा रही है. यूजीसी का बुरा हाल है और विश्वविद्यालयों का लोकतांत्रिक ढांचा तोड़ा जा रहा है. प्रशासन छात्रों को जुर्माने, जांचों और मुकदमों से डराता है और शिक्षा को कॉरपोरेट्स के हवाले करने की साजिश रची जा रही है.

प्रचार में ओरण भूमि का भी उठाया मुद्दा

अजयपाल ने अपने प्रचार में सिर्फ कैंपस के मुद्दे नहीं उठाए. उन्होंने हीटवेव से होने वाली मौतों और ओरण भूमि की लड़ाई को लेकर भी सरकार से सवाल किए. ये दिखाता है कि उनकी सोच सिर्फ जेएनयू तक सीमित नहीं. वो हर उस मुद्दे को उठा रहे हैं, जो समाज के आखिरी पायदान पर बैठे इंसान से जुड़ा है. उनका कहना है कि जेएनयू में एक सेमेस्टर की फीस मात्र 268 रुपये है, जिसके कारण गरीब परिवारों के बच्चे भी यहां पढ़ सकते हैं. लेकिन सरकार इसे खत्म करने पर तुली है. जब तक गांव का बच्चा पढ़ नहीं पाएगा, देश आगे नहीं बढ़ेगा.

28 अप्रैल को आएंगे चुनाव के नतीजे

नामांकन के बाद अजयपाल ने अपने कैंपेन को और तेज कर दिया है. उनके समर्थन में जेएनयू की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष आईसी घोष, छात्रसंघ उम्मीदवार गोपिका बाबू, सागर सिंघल, अंजली, कमल सिंह दुधोड़ा और छगनलाल रामसर जैसे नाम खड़े हो चुके हैं. 25 अप्रैल को जेएनयू में मतदान होगा और 28 अप्रैल को नतीजे आएंगे. लेकिन बाड़मेर के लिए अजयपाल पहले ही जीत चुके हैं. क्योंकि यहां के लोगों के लिए उनके बेटे का छोटे से गांव से निकलकर जेएनयू जैसी यूनिवर्सिटी में चुनाव लड़ना बड़ी बात है.

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Author: thebawal

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