Rajasthan : अब तक आपने अफसरों को पावर के नशे में चलते हुए तो खूब देखा होगा, लेकिन राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में आम जनता ने प्रदेश के सबसे बड़े अफसर यानी मुख्य सचिव सुधांश पंत को ही दो घंटे तक बंधक बना लिया. ग्रामीणों ने सीधे गेट पर ताला जड़ दिया और कहा कि जब तक हमारी सुनी नहीं जाएगी तब तक हम उन्हें बाहर नहीं निकलने देंगे. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि ग्रामीओं को मुख्य सचिव को ही बंधक बनाना पड़ गया.
कोटपूतली के आसपास के गांवों में एक सीमेंट कंपनी की मनमानी के खिलाफ ग्रामीण तीन महीने से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने इनकी कोई सुनवाई नहीं की. न कोई प्रतिनिधि आया, न कोई हल निकला. लोग बार-बार कलेक्ट्रेट के चक्कर काटते रहे. लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि चीफ सेक्रेटरी खुद आए हैं तो ग्रामीणों ने तय कर लिया कि इस बार कोई ज्ञापन नहीं, इस बार जवाब चाहिए. इसके बाद फिर जो हुआ उससे पूरे कोटपूतली-बहरोड़ जिले में हड़कंप मच गया.
समीक्षा बैठक में पहुंचे थे मुख्य सचिव सुधांश पंत
दरअसल, 15 अप्रैल को कोटपूतली-बहरोड़ जिले में एक हाई-लेवल समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी. मुख्य सचिव सुधांश पंत खुद जयपुर से कोटपूतली पहुंचे थे. जैसे ही सुधांश पंत कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक के लिए अंदर गए तो दर्जनों ग्रामीणों ने अचानक मुख्य गेट पर पहुंचकर ताला लगा दिया. कलेक्ट्रेट का गेट बंद और चीफ सेक्रेटरी व तमाम अधिकारी अंदर. ग्रामीणों ने मुख्य सचिव को करीब 2 घंटे तक बंधक बनाए रखा. इससे पूरे कलेक्ट्रेट में हड़कंप मच गया.
मुख्य सचिव को बंधक बनाने के बाद मचा हड़कंप
जैसे ही सोशल मीडिया पर खबर फैली कि चीफ सेक्रेटरी सुधांश पंत को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया है तो पुलिस अधिकारी हरकत में आए और करीब एक दर्जन ग्रामीणों को हिरासत में लिया. घटना के बाद ग्रामीण मुख्य सचिव से मिलकर अपनी बातें रखना चाहते थे. वे बस चाहते थे कि कोई जिम्मेदार अधिकारी उनकी बात सुने. लेकिन प्रशासन ने इससे पहले ही पिछला गेट खोलकर चीफ सेक्रेटरी को वहां से जयपुर के लिए रवाना कर दिया. न कोई बातचीत हुई, न कोई समाधान. हद तो तब हो गई जब ग्रामीणों को ज्ञापन तक नहीं देने दिया गया.
ये घटना एक चेतावनी है कि अगर आम जनता की मांगें नहीं सुनी गई तो अब लोग चुप नहीं बैठेंगे. चाहे सीमेंट फैक्ट्री हो, औद्योगिक प्रदूषण हो या फिर चाहे जमीन अधिग्रहण का मामला हो, लोग अब अफसरशाही के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे दिन दूर नहीं जब लोग अफसरों के साथ-साथ नेताओं को भी बंधक बनाते हुए नजर आएंगे.
