Rajasthan : जल जीवन मिशन घोटाले में आखिरकार वो दिन आ गया जिसका सभी को इंतजार था. करोड़ों रुपए के इस मेगा स्कैम में अब कांग्रेस के कद्दावर नेता और गहलोत सरकार में जलदाय मंत्री रहे डॉ. महेश जोशी को ईडी ने अरेस्ट कर लिया है. 3 साल से जांच एजेंसियों की पकड़ से बचते फिर रहे जोशी आखिरकार गुरुवार को खुद ईडी ऑफिस पहुंचे, लेकिन घंटों चली पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इस खबर में हम जानेंगे कि आखिर क्या है 900 करोड़ का जेजेएम घोटाला जिसकी राजस्थान की राजनीति में अक्सर चर्चा होती रहती है?
ये वही घोटाला है, जिसे उजागर करने के लिए बीजेपी के फायरब्रांड नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने सड़कों पर संघर्ष किया, पुलिस थानों के बाहर धरना दिया और घोटाले से जुड़े पुख्ता सबूत ईडी को सौंपे. कांग्रेस सरकार ने मामले को दबाने की हर कोशिश की, लेकिन सच्चाई को आखिरकार बाहर आना ही था. इससे पता लगता है कि पूर्व मंत्री महेश जोशी और गहलोत सरकार ने किस तरीके से जनता के पैसे का गलत इस्तेमाल किया. जो पैसा प्रदेश में पेयजल सुविधाओं के विकास के लिए आया था इन नेताओं के स्वार्थ के चलते वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.
ऐसे खुली घोटाले की परतें
अगस्त 2021 में एसीबी ने जयपुर के होटल से रिश्वत लेते हुए अधिकारियों और ठेकेदारों को रंगे हाथ पकड़ा. यहीं से घोटाले की असल परत खुली. ठेकेदार पदमचंद जैन, मलकीत सिंह, प्रवीण कुमार की गिरफ्तारी के बाद मामला बड़ा होता गया. जब बात करोड़ों के खेल तक पहुंची, तब ईडी ने कमान संभाली. तीन बार छापे मारे, सैकड़ों दस्तावेज खंगाले, और अंत में तत्कालीन मंत्री महेश जोशी का भी इसमें नाम शामिल हो गया. डॉ. महेश जोशी ने जांच से बचने के लिए हर बार नया बहाना गढ़ा. कभी बीमारी, कभी दस्तावेज जुटाने का हवाला, कभी दिल्ली जाकर अस्पताल में भर्ती होना. लेकिन जब ईडी ने पूछताछ का आखिरी मौका दिया तो उन्हें पेश होना पड़ा और आखिरकार ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
क्या है 900 करोड़ का जेजेएम घोटाला?
अब जानते हैं कि आखिर 900 करोड़ रुपये का जेजेएम घोटाला है क्या? दरअसल, जल जीवन मिशन के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी. जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना था. इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी. इसकी जगह पर HDPE की पाइपलाइन डाली गई. पुरानी पाइपलाइन को नया बता कर पैसा लिया गया, जबकि पाइपलाइन डाली ही नहीं गई. कई किलोमीटर तक आज भी पानी की पाइपलाइन डाली ही नहीं गई है, लेकिन ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर उसका पैसा उठा लिया.
ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उन्हें नए पाइप बता कर बिछा दिया और सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए. ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया, जिसकी अधिकारियों को जानकारी थी. इसके बाद भी उसे टेंडर दिया गया, क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था. इस तरह से जिन पैसों से गांववालों के लिए पानी पहुंचता वह पैसा ठेकेदारों और नेताओं की जेब में पहुंच गया. अब सवाल ये है कि क्या ये जांच आगे बढ़ेगी? और क्या बाकी दोषियों पर भी कार्रवाई होगी? या ये गिरफ्तारी महज़ एक राजनीतिक मोहरा बनकर रह जाएगी? जवाब जल्द मिलेगा, लेकिन एक बात तो तय है कि पूर्व मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी ने सियासी हलकों में तूफान ला दिया है.
