Rajasthan : बाड़मेर के चर्चित कमलेश प्रजापति एनकाउंटर को फर्जी मानते हुए हाल ही में जोधपुर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने 2 आईपीएस समेत 24 पुलिसकर्मियों पर मर्डर का केस दर्ज करने के साथ ही इस एनकाउंटर में बायतू विधायक हरीश चौधरी और उनके भाई मनीष चौधरी की भूमिका की जांच के आदेश दिए गए थे. इसके बाद से पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में बवाल मचा हुआ है क्योंकि हरीश चौधरी इस क्षेत्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं. हाल ही में उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इस बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या फर्जी एनकाउंटर केस में फंसने के बाद हरीश चौधरी से एमपी कांग्रेस प्रभारी का पद छिन सकता है? इस पर बात करें इससे पहले जानते हैं कि आखिर क्या है कमलेश प्रजापति फर्जी एनकाउंटर केस?
दरअसल, 22 अप्रैल 2021 की रात, बाड़मेर के सदर थाना क्षेत्र में सेंट पॉल स्कूल के पास पुलिस ने एक घर में छापा मारा. पुलिस का दावा था कि कुख्यात तस्कर कमलेश प्रजापति ने पुलिस पर जानलेवा हमला किया और एसयूवी से भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी फायरिंग में उसे मार गिराया. सीसीटीवी फुटेज में ये घटना कैद हुई, जिसे लेकर भी बाद में कई सवाल उठे. 23 अप्रैल को डीएसपी पुष्पेंद्र आढ़ा की रिपोर्ट पर एनकाउंटर को जायज ठहराया गया. लेकिन यहीं से कहानी ने नया मोड़ ले लिया.
पुलिस ने की थी एनकाउंटर को जायज ठहराने की कोशिश
एनकाउंटर के बाद पुलिस ने कमलेश के घर से भारी मात्रा में संदिग्ध सामग्री जब्त की. 59 लाख नकद, लग्जरी गाड़ियां, 5 अवैध पिस्टल, 121 कारतूस, 2 किलो से ज़्यादा अफीम, और 13 मोबाइल फोन. इन सबको दिखा कर पुलिस ने एनकाउंटर को जायज ठहराने की कोशिश की. लेकिन क्या ये सब सबूत एक आदमी को गोली मारने का लाइसेंस दे सकते हैं? क्या कानून की प्रक्रिया सिर्फ फाइलों और प्रेस कॉन्फ्रेंस में दफन हो जाती है? इस मामले में बवाल मचने के बाद राजस्थान सरकार ने 31 मई 2021 को सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. बाद में सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में बताया था कि जांच के दौरान मिले सबूतों से यह साबित करना मुश्किल है कि कमलेश प्रजापति फर्जी एनकाउंटर में मारा गया. सीबीआई ने रिपोर्ट में परिजनों के फर्जी मुठभेड़ के दावों को भी खारिज कर दिया था.
कमलेश की पत्नी ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को दी थी चुनौती
इस मामले में ट्विस्ट उस समय आया जब कमलेश की पत्नी जसोदा ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी. 28 मार्च 2023 को दाखिल याचिका में जसोदा ने अदालत को बताया था कि हरीश चौधरी के भाई मनीष चौधरी ने 10 लाख रुपये लिए थे, ताकि एक पुराने केस से कमलेश का नाम हटाया जा सके. बाद में वही कमलेश इस कथित एनकाउंटर का शिकार बन गया. यही नहीं, कमलेश के घर के सीसीटीवी फुटेज को भी डिलीट किया गया. कोर्ट ने कहा कि CBI ने इस पैसे के लेन-देन, कॉल डिटेल्स और मनीष चौधरी की भूमिका की जांच ही नहीं की. इतना ही नहीं, मनीष के साले तहसीलदार प्रेमसिंह को गवाह बनाया गया. और यहीं से शक गहराया कि ये पूरा एक्शन एक सुनियोजित राजनीतिक हत्या थी. अदालत ने जसोदा की याचिका पर गौर करते हुए सीबीआई की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया. यह उन पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को बड़ा झटका था जो अब तक बेदाग़ बने हुए थे.
बीजेपी प्रवक्ता ने हरीश चौधरी पर लगाए गंभीर आरोप
अब इस मामले पर जमकर राजनीति हो रही है. मध्यप्रदेश बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने ट्वीट कर कांग्रेस नेता हरीश चौधरी और उनके भाई पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि जो खुद हत्या के आरोपी हैं, वे मध्यप्रदेश में नैतिकता और न्याय की बातें कैसे कर सकते हैं? हरीश चौधरी फिलहाल मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हैं और इस केस के बाद उनकी राजनीतिक भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.
क्या हरीश चौधरी से छिन सकता है एमपी कांग्रेस प्रभारी का पद?
इस बीच चर्चाएं ये भी चलने लगी है कि फर्जी एनकाउंटर मामले में फंसने के बाद हरीश चौधरी से एमपी कांग्रेस प्रभारी का पद छिन सकता है. हालांकि कांग्रेस पार्टी में हरीश चौधरी को पद से हटाने की संभावना कम है. लेकिन जैसे-जैसे केस आगे बढ़ेगा और अगर CBI की जांच में उनके खिलाफ ठोस सबूत सामने आते हैं, तो पार्टी को बड़ा कदम उठाना पड़ सकता है. विपक्ष पहले से इस मुद्दे को भुनाने की तैयारी में है और अगर यह मामला और गहराया तो कांग्रेस को भारी राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ सकता है.
सवाल अब सिर्फ कमलेश प्रजापति की हत्या का नहीं है. सवाल ये है कि क्या पुलिस, नेता और अफसर मिलकर इंसाफ का गला घोंट सकते हैं और जांच एजेंसियां आंख मूंद लेंगी? कोर्ट का आदेश सिर्फ एक केस की बात नहीं है. अब देखना ये है कि क्या कमलेश प्रजापति एनकाउंटर केस में हरीश चौधरी जेल जाएंगे या फिर फिर ये केस भी केवल फाइलों में बंद होकर रह जाएगा.
