Pahalgam Attack : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ 26 मासूम जिंदगियों को छीन लिया, बल्कि एक नई-नवेली दुल्हन के सपनों को भी चकनाचूर कर दिया. लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, जिनकी शादी को महज 6 दिन हुए थे, आतंकियों की गोलियों का शिकार बन गए. लेकिन आज, उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल को कुछ लोग गालियां दे रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने नफरत के खिलाफ आवाज उठाई. हिंदू-मुस्लिम के नाम पर जहर फैलाने वालों को हिमांशी ने करारा जवाब दिया है. इस खबर में जानेंगे कि कैसे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी ने शांति और एकता का पैगाम दिया और क्यों कुछ लोग उनकी इस हिम्मत को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं.
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की खूबसूरत वादियों में आतंकियों ने मासूम पर्यटकों को निशाना बनाया. लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, जो अपनी पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून मनाने आए थे, उन 26 लोगों में शामिल थे, जिन्हें आतंकियों ने बेरहमी से मार डाला. हिमांशी ने अपनी आंखों के सामने अपने पति को खो दिया. आतंकियों ने धर्म पूछकर गोलियां चलाईं, और विनय को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वो हिंदू थे. इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. विनय, जो भारतीय नौसेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे, एक होनहार अफसर थे. उनकी शादी को अभी एक हफ्ता भी नहीं हुआ था.
हिमांशी ने पहलगाम हमले के बाद पहली बार मीडिया से बात की और अपने दिल का दर्द बयां किया. उन्होंने बताया कि कैसे आतंकियों ने उनके पति को गोली मारी, और कैसे उन्हें अस्पताल पहुंचाने में डेढ़ घंटे लग गए. लेकिन हिमांशी ने अपने दुख को नफरत में नहीं बदला. मौत के महज दस दिन बाद ही लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का 27वां जन्मदिन था. 1 मई 2025 को, विनय के जन्मदिन पर, करनाल में रक्तदान शिविर आयोजित किया गया जिसमें उनकी पत्नी हिमांशी ने एकता का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहती कि लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के खिलाफ नफरत फैलाएं. हमें सिर्फ शांति चाहिए. उन गुनहगारों को सजा चाहिए जिन्होंने यह किया.
हिमांशी को गालियां क्यों दे रहे लोग?
लेकिन शर्मनाक है कि हिमांशी के इस शांति के संदेश को कुछ लोग पचा नहीं पा रहे. सोशल मीडिया पर कुछ तथाकथित ‘अंधभक्त’ और नफरत फैलाने वाले हिमांशी को गालियां दे रहे हैं. वजह सिर्फ इतनी कि उन्होंने हिंदू-मुस्लिम नफरत को खारिज किया. कुछ यूजर्स ने तो हद पार करते हुए हिमांशी के बयान को देशद्रोह तक बता दिया क्योंकि उनके पति को हिंदू होने की वजह से मारा गया.
पहलगाम हमला आतंकियों की कायराना हरकत थी लेकिन इसका इस्तेमाल अब कुछ लोग समाज को बांटने के लिए कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर हिंदू-मुस्लिम नफरत को भड़काने वाले पोस्ट्स की बाढ़ आ गई है. कुछ लोग इस आतंकवादी हमले को ‘इस्लामी आतंकवाद’ का नाम देकर पूरे समुदाय को निशाना बनाना चाह रहे हैं. हिमांशी ने इस नफरत के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया.
हिमांशी ने नफरत फैलाने वालों को करारा जवाब दिया है. हमें उनकी इस हिम्मत का सम्मान करना चाहिए. पहलगाम हमले ने हमें दुख दिया, लेकिन हिमांशी ने हमें दिखाया कि दुख को नफरत में नहीं, बल्कि एकता में बदला जा सकता है. इसलिए यह वक्त बंटने का नहीं बल्कि एकजुट होकर भारत को और मजबूत करने का है.
