Operation Sindoor : 6-7 मई की रात जब पूरा देश सो रहा था, तब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और POK में 100 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंक के अड्डों पर कहर बरपा दिया. ऑपरेशन सिंदूर नाम से हुए इस गुप्त सैन्य मिशन में सिर्फ 24 मिनट में आतंक के 9 ठिकाने तबाह कर दिए गए. तब से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इस ऑपरेशन के फैसले पर अंतिम निर्णय किसने लिया. इस खबर में हम बात करेंगे कि आखिर इतनी सटीकता से महज 24 मिनट के अंदर ऑपरेशन सिंदूर को कैसे अंजाम दिया गया?
24 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुला ऐलान किया था कि अब आतंकियों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा दी जाएगी. 29 अप्रैल को साउथ ब्लॉक में पहली हाई लेवल मीटिंग हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के प्रमुख और CDS जनरल अनिल चौहान मौजूद थे. 3 मई को दूसरी बैठक हुई, और उसी दिन तय हो गया कि पाकिस्तान में छिपे आतंकी संगठनों पर निर्णायक हमला किया जाएगा.
5 मई को दी गई थी ऑपरेशन की मंजूरी
3 मई को जैसे ही मिशन की मंजूरी की तैयारी हुई, सेना और खुफिया एजेंसियों के चुनिंदा अधिकारियों की एक टीम को साउथ ब्लॉक में शिफ्ट कर दिया गया. उन्हें पूरी तरह क्वारंटीन किया गया. ना कोई फोन, ना परिवार से संपर्क. मिशन की प्लानिंग इतनी गोपनीय थी कि इन अफसरों को चार दिन तक बाहर जाने की इजाजत नहीं थी. 5 मई को NSA अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की योजना पीएम मोदी के सामने रखी, जिसे तुरंत मंजूरी दे दी गई.
आतंकियों के सफाए के लिए था ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने 6-7 मई की रात 1:05 बजे पाकिस्तान और पीओके में एयर स्ट्राइक की. कुल 9 आतंकी ठिकानों को 24 मिसाइलों से तबाह किया गया. इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के लॉन्च पैड्स और ट्रेनिंग सेंटर्स निशाने पर थे. चार टारगेट पाकिस्तान में और पांच पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में थे. मिशन के दौरान पाकिस्तानी सेना पर कोई हमला नहीं किया गया. यह ऑपरेशन केवल आतंकियों के सफाए के लिए था.
भारतीय खुफिया एजेंसी RAW और NTRO ने इस मिशन के लिए 21 संभावित टारगेट की सूची दी थी, जिनमें से 9 सबसे अहम ठिकानों को चुना गया. इन हमलों में लश्कर का टॉप कमांडर हाफिज अब्दुल मलिक, जैश के प्रमुख मसूद अजहर के रिश्तेदार और कई शीर्ष आतंकी मारे गए. बताया जा रहा है कि मसूद अजहर की मस्जिद पर हुई स्ट्राइक में उसके परिवार के 10 सदस्य और 4 करीबी सहयोगी भी मारे गए. इन ठिकानों में वे ट्रेनिंग सेंटर भी शामिल थे जहां कसाब और हेडली जैसे आतंकियों ने ट्रेनिंग ली थी.
अजीत डोभाल ने बनाया तीनों सेनाओं के साथ समन्वय
पूरे ऑपरेशन की निगरानी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. NSA अजीत डोभाल ने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बनाते हुए ऑपरेशन को रणनीतिक रूप से अंजाम दिलाया. सोशल मीडिया पर आधिकारिक बयान जारी करने से पहले ही सेना ने “प्रहाराय सन्निहिताः, जयाय प्रशिक्षिता” यानी “हमले के लिए तैयार, जीत के लिए प्रशिक्षित” का संदेश देकर दुनिया को चेता दिया था. ऑपरेशन के बाद रात 1 बजकर 51 मिनट पर भारतीय सेना ने X पर तस्वीर और बयान साझा कर कहा कि इंसाफ हो गया.
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं था, बल्कि यह दिखाता है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक रूप से भी आक्रामक रुख अपना रहा है. पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश मिल चुका है कि अगर आतंक पनपेगा, तो उसकी जड़ें वहीं उखाड़ दी जाएंगी. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने ना सिर्फ दुश्मन के अड्डे ध्वस्त किए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी निर्णायक सैन्य ताकत का भी प्रदर्शन किया.
