Chittorgarh : सरकारी नौकरी जनता की सेवा के लिए होती है. लेकिन कुछ लोग इसे अपनी जेब भरने का ज़रिया बना लेते हैं. चित्तौड़गढ़ में एक ऐसा ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक असिस्टेंट इंजीनियर और उसकी लेक्चरर पत्नी सरकार की तनख्वाह लेते रहे और करोड़ों रुपये का जमकर भ्रष्टाचार किया. ACB की टीम को जब सच्चाई का पता लगा तो सब हैरान रह गए. अब कोर्ट ने इस दंपति को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. इस खबर में हम बात करेंगे कि करोड़ों की काली कमाई करने वाला असिस्टेंट इंजीनियर और उसकी पत्नी कैसे एसीबी के हत्थे चढ़े?
इस केस की जड़ें 2019 में शुरू होती है जब एक परिवादी ने ACB को शिकायत दी कि अजमेर डिस्कॉम में तैनात तत्कालीन जूनियर इंजीनियर महिपाल जाटव एक कृषि बिजली कनेक्शन का नाम बदलने के लिए 30 हजार की रिश्वत मांग रहा है. ACB ने बिना वक्त गंवाए जाल बिछाया और 26 जून 2019 को महिपाल को रंगे हाथों रिश्वत लेते दबोच लिया. यह गिरफ्तारी तो महज़ एक शुरुआत थी. अभी भ्रष्टाचार के असली खेल का पता लगना बाकी था.
महिपाल की पत्नी भी है काली कमाई में हिस्सेदार
रिश्वतकांड के बाद जब ACB ने जांच की परतें खोलनी शुरू कीं तो चौंकाने वाला सच सामने आया. महिपाल जाटव अकेले नहीं था. उसकी पत्नी सीमा यादव भदेसर की राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में लेक्चरर है. वह भी इस काले खेल में बराबर की हिस्सेदार निकली. जांच में पता चला कि 2016 से 2019 के बीच इस दंपति ने अपनी ज्ञात आय से 43 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित की.
लॉकर में मिले नकदी और जेवरात
ACB की टीम ने महिपाल जाटव के चित्तौड़गढ़ स्थित आवास पर छापा मारा तो वहां से नगदी, जमीन के दस्तावेज, बैंक खातों की जानकारी, निवेश के अहम दस्तावेज बरामद हुए. इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मीरा मार्केट ब्रांच में मौजूद दोनों के लॉकर की भी तलाशी ली गई. वहां भी जेवरात, नकदी और अहम दस्तावेज मिले जो साफ बताते हैं कि यह कमाई सरकारी वेतन से नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के काले खेल से बनाई हुई है. हैरान करने वाली बात ये है कि इस कमाई से जुड़ा कोई टैक्स रिकॉर्ड भी उनके पास नहीं मिला.
दंपति को भेजा गया जेल
अब ACB ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है और कोर्ट में पेशी के बाद महिपाल जाटव और सीमा यादव दोनों को जेल भेज दिया गया है. ये केस सिर्फ एक दंपति की कहानी नहीं है, बल्कि सरकारी सिस्टम में फैले उस भ्रष्टाचार की तस्वीर है, जो हर दिन किसी न किसी गांव या शहर में किसी आम आदमी का हक छीन रहा है. सवाल ये है कि कितने महिपाल और कितनी सीमाएं अभी भी सिस्टम में छिपी बैठी हैं? और क्या सिर्फ एक गिरफ्तारी से सब कुछ ठीक हो जाएगा? या अब वक्त है कि पूरे सिस्टम को बदला जाए.
