Rajasthan : बागीदौरा से भारत आदिवासी पार्टी के विधायक जयकृष्ण पटेल को ACB ने रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है जिसके बाद राजस्थान की सियासत में बवाल मचा हुआ है. आरोप है कि विधानसभा में खनन से जुड़े सवाल हटाने के लिए उन्होंने 20 लाख रुपये की रिश्वत ली. ACB का दावा है कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत है. इस खबर में हम बात करेंगे कि क्या इस हाई-प्रोफाइल केस में विधायक की सदस्यता खतरे में है? और अगर वह दोषी साबित हुए तो उन्हें कितने साल की सजा होगी?
राजस्थान में पहली बार किसी विधायक को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है. रिश्वत के मामले में गिरफ्तारी से तुरंत विधायकी नहीं जाती. सरकारी कर्मचारियों को ऐसी स्थिति में निलंबित किया जाता है, लेकिन विधायकों पर यह नियम लागू नहीं होता. हालांकि, विधानसभा स्पीकर इस मामले को गंभीर दुराचरण मानकर कार्रवाई कर सकते हैं. विधानसभा, प्रस्ताव पास कर विधायक की सदस्यता को निलंबित कर सकती है. स्पीकर चाहें तो कोर्ट के फैसले तक निलंबन का आदेश दे सकते हैं. लेकिन क्या ऐसा होगा? यह पूरी तरह से सियासी दबाव और विधानसभा की इच्छा पर निर्भर करता है.
2 या अधिक साल की सजा होने पर समाप्त हो जाती है विधायकी
अगर जयकृष्ण पटेल कोर्ट में दोषी साबित होते हैं, तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी. जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8(3) के तहत, अगर किसी विधायक को 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता तत्काल समाप्त हो जाती है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 के तहत रिश्वत लेने की सजा अधिकतम 10 साल तक हो सकती है. सजा पूरी होने के बाद अगले 6 साल तक विधायक चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे. यानी, अगर 3 साल की सजा हुई तो विधायक बनने के लिए जयकृष्ण पटेल 9 साल तक अयोग्यत हो जाएंगे.
लेकिन सजा के लिए ACB को कोर्ट में हर सबूत को मजबूती से पेश करना होगा. ACB का दावा है कि उनके पास जयकृष्ण पटेल के खिलाफ ठोस सबूत हैं. 10 से ज्यादा ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग, सीसीटीवी फुटेज, और फोरेंसिक साक्ष्य इस केस की रीढ़ बताए जा रहे हैं. कार्रवाई के दौरान, विधायक के हाथ धोने पर फिनोलफथेलिन पाउडर का रंग निकला भी साबित करता है कि उन्होंने रिश्वत के नोट छुए थे. 25 अप्रैल को सत्यापन के दौरान विधायक ने 1 लाख रुपये लिए, जिसकी रिकॉर्डिंग में वे 2.5 करोड़ की डिमांड करते सुनाई दिए. अगर ACB ने सर्विलांस और कार्रवाई के सभी नियमों का पालन किया है, तो ये सबूत विधायक को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त हैं.
विपक्ष ने बताया साजिश
इस मामले में सियासी साजिश के सवाल भी उठ रहे हैं. विधायक जयकृष्ण पटेल ने कोर्ट से बाहर दावा किया कि उन्हें राजनीतिक षड्यंत्र में फंसाया गया है. कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इसे साजिश का हिस्सा बताया है. ACB के सीएम और स्पीकर को पहले सूचना देने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. क्योंकि किसी भी लोक सेवक या सरकारी कर्मचारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार करने के मामले में किसी से अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है. आईएएस या आईपीएस की गिरफ्तारी पर भी किसी को सूचना नहीं दी जाती.
अब ACB के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कोर्ट में जयकृष्ण पटेल पर लगाए गए आरोपों को साबित करना. ACB को यह भी साबित करना होगा कि विधायक के सवाल लंबित थे और उन्हें हटाने की डील हुई. अगर सवाल के जवाब पहले ही दे दिए गए या लेन-देन में गलतियां पाई गईं, तो केस कमजोर हो सकता है. इसलिए क्या जयकृष्ण पटेल की विधायकी खतरे में है, इस बात का जवाब कोर्ट के फैसले पर टिका है.
