Rajasthan : रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ललित के. पवार को राजस्थान की भजनलाल सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. इन्हें प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के लिए गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी का अध्यक्ष बनाया है. खास बात ये है कि ये वही आईएएस अधिकारी है जिनकी जिनकी सिफारिश पर भजनलाल सरकार ने अशोक गहलोत द्वारा बनाए गए 3 संभाग और 9 जिलों को खत्म किया था. तो आइए आज की इस खास रिपोर्ट में जानते हैं कि कौन हैं रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ललित के पवार जो एक बार फिर से चर्चाओं में हैं.
ललित के. पंवार साल 1979 बैच के एक अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी हैं. वे राजस्थान लोक सेवा आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं. ललित के. पंवार मूलरूप से बाड़मेर के रहने वाले हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद अप्रैल 2024 में वे भाजपा में शामिल हो गए थे. उनके नेतृत्व में बनी समीक्षा कमेटी की रिपोर्ट पर गहलोत राज में बने 3 संभाग और 9 जिले निरस्त किए गए थे. उस समय कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार ने भाजपा के सदस्य को कमेटी का अध्यक्ष बना दिया. उस अध्यक्ष ने सरकार के निर्देश पर अपनी रिपोर्ट तैयार करके सौंपी थी जिसकी वजह से नए जिले निरस्त किए गए. अब एक बार फिर उन्हें सूबे की भजनलाल सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.
भजनलाल सरकार ने दी बड़ी जिम्मेदारी
राजस्थान में प्रशासनिक ढांचे को नया रूप देने की तैयारी एक बार फिर से शुरू हो चुकी है. राज्य सरकार ने पंवार को राजस्व इकाइयों के पुनर्गठन से संबंधित कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. यह कमेटी राज्य की राजस्व व्यवस्था में सुधार के लिए नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन या पुनर्गठन से जुड़ी सिफारिशें तैयार कर सरकार को सौंपेगी. राजस्व विभाग के अधीन गठित इस समिति में अन्य प्रमुख सदस्य के रूप में राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव, राजस्व मंडल के निबंधक और पूर्व आरएएस अधिकारी राजनारायण शर्मा को शामिल किया गया है. समिति का कार्यकाल छह माह का रखा गया है, जिसमें यह राज्यभर की मौजूदा राजस्व इकाइयों की स्थिति का अध्ययन कर पुनर्गठन से जुड़ी संभावनाओं पर रिपोर्ट तैयार करेगी.
राजस्थान के नक्शे में होगा बड़ा बदलाव?
यह कमेटी राजस्थान में प्रशासनिक इकाइयों की प्रभावशीलता, संसाधनों की उपयुक्तता और जनसेवाओं की दक्षता को बेहतर बनाने की दिशा में एक खाका तैयार करेगी. रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार आने वाले समय में राजस्व इकाइयों के पुनर्गठन से संबंधित अहम फैसले ले सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर 2025 के अंत तक राज्य के प्रशासनिक मानचित्र में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि पंवार की अगुवाई में बनी यह रिपोर्ट क्या सिफारिशें लेकर आती है और उससे राजस्थान का नक्शा किस तरह बदलता है.
