Politics : C-वोटर के ताजा सर्वे ने बिहार के सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है. सर्वे में जनता ने बताया दिया है कि वह किस नेता को अगला मुख्यमंत्री देखना चाहती है. तेजस्वी यादव नंबर वन पर हैं, प्रशांत किशोर दूसरे और नीतीश कुमार तीसरे नंबर पर खिसक चुके हैं. दरअसल, एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों इन दिनों सीएम नीतीश के फेस को लेकर हमलावर हैं, लेकिन बिहार की जनता अब सीएम किसी युवा नेता को देखना चाहती है. तभी तो तेजस्वी और प्रशांत किशोर जैसे युवा नेता उनकी पहली पसंद बन रहे हैं. अपने काम की बदौलत भले ही सीएम नीतीश को कईयों ने अपनी पसंद बताया है, लेकिन इस सर्वे से ये तो साफ हो गया है कि अब बिहार की ज्यादातर जनता नीतीश कुमार को अगले सीएम के रूप में नहीं देखना चाहती.
सी वोटर’ के सर्वे के मुताबिक, 36 फीसदी लोगों ने आरजेडी के तेजस्वी यादव को अगला मुख्यमंत्री देखना चाहा है. जबकि दूसरे स्थान पर नीतीश कुमार नहीं बल्कि जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर हैं. 17 फीसदी लोग उन्हें बिहार में अगला मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं. प्रशांत किशोर अब तक राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते थे. लेकिन अब धीरे-धीरे जनता उन्हें नेता मान रही है. तीसरे स्थान पर नीतीश कुमार हैं, जिन्हें 15 फीसदी वोट मिले हैं. डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी 13 फीसदी वोटों के साथ चौथे स्थान पर हैं. चिराग पासवान पांचवें स्थान पर हैं, जिन्हें 6 फीसदी वोट मिले हैं.
एनडीए के बाकी चेहरों को भी गंभीरता से नहीं ले रही जनता
सर्वे में बीजेपी के सम्राट चौधरी को सिर्फ 13 प्रतिशत समर्थन मिला है, और चिराग पासवान को महज़ 6 फीसदी वोट मिले हैं. यानी एनडीए के बाकी चेहरों को जनता गंभीरता से नहीं ले रही है. नीतीश कुमार की लोकप्रियता भी बहुत ज्यादा गिर चुकी है. यह संकेत साफ है कि NDA को अगर इस बार सत्ता में बने रहना है, तो उसे या तो चेहरा बदलना होगा या फिर रणनीति. वरना जनता अपना फैसला सुना चुकी है. ऐसे में एनडीए को बिहार में हार का सामना करना पड़ सकता है.
समय से पहले हो सकते हैं बिहार में विधानसभा चुनाव
भले ही बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर 2025 तक है, लेकिन समय से पहले चुनाव की अटकलें ज़ोर पकड़ रही हैं. ऐसे में हर पार्टी अपनी रणनीति में जुटी है, और ताजा सर्वे के नतीजे उन्हें अपनी योजना पर फिर से सोचने को मजबूर कर रहे हैं. तेजस्वी यादव RJD को नई धार दे रहे हैं, प्रशांत किशोर भी जनता के बीच उतर चुके हैं, और नीतीश कुमार अब अपनी विरासत बचाने की लड़ाई में फंसे हैं. हालांकि राजनीति में सर्वे झलक दिखाते हैं, फैसला नहीं. लेकिन जनता का रुख अगर अभी से इतना साफ हो चुका है, तो यह संकेत है आने वाले बड़े बदलाव का. तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेता जहां युवा वोटरों को जोड़ने में कामयाब हो रहे हैं, वहीं नीतीश कुमार को अब अपनी कुर्सी बचाना सबसे बड़ा चैलेंज बन गया है. अब देखना ये है कि चुनावी रण में किसका पलड़ा भारी होगा, अनुभव का या युवा जोश का?
