Jaisalmer : जैसलमेर में भाजपा ने दलपत हींगडा को जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी है. यह नाम काफी चौंकाने वाला है क्योंकि किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी परंपरागत वर्गों को छोड़कर किसी एससी चेहरे पर दांव खेलेगी. राजपूत वर्ग से सवाईसिंह गोगली जिलाध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे थे. वह संगठन में भी सबसे ज्यादा एक्टिव माने जाते हैं. लेकिन उनका सबसे माइनस पॉइंट ये था कि वह जैसलमेर के जातिगत समीकरण में फिट नहीं बैठ रहे थे. क्योंकि राजपूत वर्ग को पहले ही कई जगह प्रतिनिधित्व मिला हुआ है. ऐसे में पार्टी के लिए यह बात जरूरी हो गई थी जिलाध्यक्ष राजपूत वर्ग से बाहर का ही कोई व्यक्ति बने. इसके बाद ओबीसी या सामान्य वर्ग से जिलाध्यक्ष बनाने की चर्चा जोरों पर थी.
विधायक छोटू सिंह भाटी खुद ओबीसी वर्ग से आने वाले शंभूदान भेलानी की पैरवी कर रहे थे. लेकिन विधायक के अलावा उनके साथ कोई और नजर नहीं आया और वह रेस में पीछे रह गए. पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी चाह रहे थे कि इस बार जिलाध्यक्ष पोकरण क्षेत्र से हो और हुआ भी ऐसा ही. भाजपा ने वर्तमान में जिला महामंत्री और पूर्व में मंंडल अध्यक्ष रह चुके दलपत हींगडा को जिलाध्यक्ष बनाकर सबको चौंका दिया.
राजमथाई के रहने वाले हैं दलपत हींगडा
दलपत हींगडा पोकरण विधानसभा के राजमथाई क्षेत्र के रहने वाले हैं. वह भाजपा संगठन से शुरू से ही जुड़े रहे हैं और हमेशा संगठन के कामों में एक्टिव नजर आते हैं. उन्होंने जिलाध्यक्ष बनने के बाद कहा कि पार्टी हर छोटे कार्यकर्ता का ध्यान रखती है. यही वजह है कि संघठन के लिए छोटी-छोटी जगहों पर जाकर जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता को पार्टी ने आज जिलाध्यक्ष बना दिया.
बीजेपी ने एससी चेहरे पर क्यों खेला दांव?
खास बात ये है कि जैसलमेर जोधपुर संभाग में अकेला जिला है जहां बीजेपी ने एससी चेहरे को जिलाध्यक्ष बनाया है. वो इसलिए क्योंकि भाजपा का परंपरागत वोटबैंक राजपूत, ओबीसी और शहरी मतदाताओं को माना जाता है. जैसलमेर में आमतौर पर सामान्य वर्ग, राजपूत या शहरी क्षेत्र से ही जिलाध्यक्ष बने हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी ने कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए एससी चेहरे पर दांव खेलते हुए दलपत हींगडा को जिलाध्यक्ष बनाया है. हींगडा के जिलाध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी की पकड़ एससी वर्ग में और ज्यादा हो जाएगी.
