Rajasthan : नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने अपनी सुरक्षा में तैनात कमांडो को वापस भेज दिया है. इसके बाद राजस्थान की राजनीति में जबरदस्त बवाल मच गया है. दरअसल, नागौर एसपी नारायण टोगस ने एक आदेश निकालकर हनुमान बेनीवाल को सिर्फ नागौर में ही सुरक्षा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी. इस बात को लेकर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल नागौर एसपी पर फायर हो गए हैं और कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं. इस खबर में हम बात करेंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि हनुमान बेनीवाल ने अपनी सुरक्षा में तैनात कमांडो को वापस भेज दिया?
हनुमान बेनीवाल ने सवाल उठाया है कि अगर उन्हें जान का खतरा है तो क्या वो सिर्फ नागौर की सीमा में ही है. अगर नागौर से बाहर उनकी जान को खतरा नहीं है तो पुलिस यह बताए कि उनकी जान को किन लोगों से खतरा है. ये सवाल न सिर्फ उनकी सुरक्षा को लेकर है, बल्कि पुलिस और प्रशासन के रवैये पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है.
बेनीवाल ने मुख्यमंत्री से पूछे सवाल
हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से सीधे सवाल पूछते हुए याद दिलाया कि 25 अप्रैल को राज्य सरकार के अधिकारियों ने उन्हें जान से खतरा होने की बात कहकर सुरक्षा और एस्कॉर्ट मुहैया कराई थी. लेकिन अब जब वे जयपुर में तीन दिनों से लगातार सार्वजनिक कार्यक्रमों में जा रहे हैं, तब भी उन्हें उसी श्रेणी की सुरक्षा क्यों नहीं दी जा रही है? क्या नागौर एसपी राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों से भी ऊपर हो गए हैं जो सुरक्षा को सिर्फ एक जिले तक सीमित कर रहे हैं?
बेनीवाल ने अपनी नाराजगी सिर्फ सुरक्षा की सीमा को लेकर ही नहीं, बल्कि सुरक्षा गुणवत्ता पर भी जाहिर की है. उन्होंने बताया कि उन्हें जो सुरक्षाकर्मी दिए गए हैं, उनके पास आधुनिक हथियार तक नहीं हैं. केवल पिस्टल जैसा हल्का हथियार उनके पास है. जबकि पहले उन्हें आधुनिक हथियारों से लैस चार कमांडो दिए गए थे. भाजपा सरकार आने के बाद न केवल सुरक्षाकर्मियों की संख्या घटाई, बल्कि सुरक्षा कमांडो के पास आधुनिक हथियार भी नहीं हैं.
बेनीवाल बोले- मेरी सुरक्षा सरकार के भरोसे नहीं
बेनीवाल ने साफ शब्दों में कहा कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार पर कोई भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा कि मेरी सुरक्षा सरकार के भरोसे नहीं, राजस्थान के जवानों और किसानों के आशीर्वाद से है. बेनीवाल का यह बयान एक राजनीतिक संदेश भी है कि वे चुप बैठने वालों में से नहीं हैं. उन्हें सुरक्षा नहीं, सम्मान चाहिए और वो सम्मान जब तक सरकार नहीं देगी उनकी लड़ाई जारी रहेगी.
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस मसले पर क्या रुख अपनाते हैं? क्या बेनीवाल की सुरक्षा दोबारा बहाल होगी? क्या एसपी नारायण टोगस के आदेश पर पुनर्विचार होगा या फिर यह विवाद और गहराएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
