India Pakistan Ceasefire : भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी सीमा पर गोलियों की गूंज सुनाई देती है, पूरी दुनिया का ध्यान उस पर चला जाता है. लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही बड़ा था. दोनों देशों के बीच ड्रोन और मिसाइलों से अटैक हो रहे थे जिसके चलते बॉर्डर इलाकों में लॉकडाउन और ब्लैकआउट लागू कर दिया गया. लग रहा था कि भारत-पाक के बीच की ये जंग अपनी चरम स्थिति पर पहुंचने ही वाली है. लेकिन फिर अचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीच में आए और उन्होंने दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू करवा दिया. आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि ऐसा क्या हुआ कि भारत-पाक के बीच जंग को रुकवाने के लिए अमेरिका को बीच में आना पड़ा?
22 अप्रैल को पहलगाम में मासूम लोगों पर जो हमला हुआ वो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला था. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा. हमले के 15 दिन बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की और 100 से ज्यादा आतंवादियों को मार गिराया. जैसे ही भारत ने एयर स्ट्राइक की तो पाकिस्तान बौखला गया. दुश्मन देश ने जैसलमेर, बाड़मेर समेत कई सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन और मिसाइलों से हमले शुरू कर दिए जिसका भारत ने करारा जवाब दिया. जैसे ही पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलें भारतीय सीमा में घुसते, भारत का एयर डिफेंस सिस्टम उन्हें हवा में ही राख कर देता. धीरे-धीरे दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए लेकिन तभी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीच में आए और उन्होंने जंग रुकवा दी.
डोनाल्ड ट्रंप रातभर करते रहे मध्यस्थता
डोनाल्ड ट्रंप जंग रुकवाने के लिए रातभर भारत और पाकिस्तान के साथ बातचीत करते रहे. 10 मई की शाम को उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसके जरिए दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू हो गया. सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा कि रात में यूएस की मध्यस्थता में चली लंबी बातचीत के बाद मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान तुरंत और पूरी तरह हमले रोकने के लिए तैयार हो गए हैं. मैं दोनों देशों को कॉमनसेंस और समझदारी से भरा फैसला लेने के लिए बधाई देता हूं. अब बात करते हैं कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप को जंग रुकवाने के लिए बीच में क्यों आना पड़ा और इसमें अमेरिका का क्या फायदा है?
डोनाल्ड ट्रंप कोई संत नहीं हैं. वो अमेरिका के सबसे विवादित राष्ट्रपतियों में से एक रहे हैं, लेकिन एक बात तय है कि वो डील मेकर हैं. ट्रंप का इतिहास रहा है कि जब कोई ग्लोबल हॉटस्पॉट उबलता है, वो वहां ‘शांति’ के नाम पर एंट्री लेते हैं और फिर अपना फायदा निकालते हैं. ट्रम्प के लिए पर्सनैलिटी फर्स्ट और पॉलिसी सेकेंड का फॉर्मूला लागू होता है. इजराइल का हमास से युद्ध हो या ईरान से तनाव, वह खुद को युद्ध में मध्यस्थता करने की पोजिशन में रखते हैं. ट्रम्प अब भारत-पाक जंग को रुकवाने की बात को सब जगह बताएंगे और अमेरिका में अपनी राजनीति को चमकाएंगे.
तीसरा युद्ध झेलने के लिए तैयार नहीं थी दुनिया
मौजूदा वक्त में दुनिया में 2 बड़े युद्ध चल रहे हैं पहला इजराइल-गाजा में और दूसरा रूस-यूक्रेन में. इनकी वजह से दुनियाभर की सप्लाई चेन और व्यापार पर असर हुआ है. ऐसे में अगर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग शुरू होती तो पूरी दुनिया को इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ते. भारत अमेरिका समेत कई देशों को स्टील, फार्मास्युटिकल्स, कच्चे समान, मेटल्स आदि का एक्सपोर्ट करता है. ऐसे में युद्ध शुरू होने पर अमेरिका के फार्मा और हेल्थ सेक्टर को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता. ट्रंप ये सब नहीं चाहते थे. साथ ही भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद उन्हें यह भी पता है कि मोदी सरकार जब एक्शन लेती है, तो वो आर-पार होता है. शायद ट्रंप को डर था कि अगर अभी उन्होंने दखल नहीं दिया तो फिर भारत-पाक युद्ध होकर ही रहेगा. भारत-पाक युद्ध रुकवाने के पीछे ट्रंप का असली मकसद था साउथ एशिया में स्टेबिलिटी बनाए रखना, ताकि अमेरिका के अपने व्यापारिक और सामरिक हित सुरक्षित रहें.
हालांकि अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर लागू होने के बाद दोनों देशों के बीच हालात किस तरह से सामान्य होंगे. क्या पाकिस्तान अब आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद कर देगा या फिर अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज नहीं आएगा. फिलहाल तो पाकिस्तान शांति का राग अलाप रहा है. लेकिन उसे अच्छे से पता है कि अब अगर उसने फिर से उकसाने की कोशिश की तो भारत चुप नहीं बैठेगा.
