Jaisalmer : जैसलमेर में आम किसान की आड़ में छिपकर रह रहे आईएसआई के एक जासूस को राजस्थान इंटेलिजेंस ने गिरफ्तार किया है जिसके बाद हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. पहलगाम हमले से करीब एक महीने पहले पकड़े गए इस जासूस का नाम पठान खान है. यह शख्स पिछले 12 साल से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भारतीय सेना की गोपनीय जानकारी और फोटो व वीडियो भेजता रहा. उसने पाकिस्तान में जासूसी की ट्रेनिंग ली और आईएसआई के अधिकारियों को भारतीय सिम कार्ड देकर आया. हैरान करने वाली बात ये है कि सालों से आईएसआई के लिए जासूसी कर रहे इस शख्स की भनक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को नहीं लग पाई. इस खबर में हम जानेंगे कि आखिर कौन है पठान खान और यह कैसे बन गया ISI का मोहरा?
25 मार्च 2025 को राजस्थान इंटेलिजेंस ने जैसलमेर के मोहनगढ़ इलाके से पठान खान को गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी पहलगाम में हुए आतंकी हमले से करीब एक महीने पहले हुई जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. पठान खान पर आरोप है कि वह 2013 से ISI के लिए जासूसी कर रहा था. उसने भारतीय सेना की तैनाती, सीमा पर गतिविधियों और संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें और वीडियो ISI को भेजे. जांच में खुलासा हुआ कि उसने भारतीय सिम कार्ड्स का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी हैंडलर्स से संपर्क बनाए रखा. पहलगाम हमले के बाद सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच सुरक्षा एजेंसियां और अलर्ट हो गई हैं.
पाकिस्तान में 15 दिन तक ली जासूसी की ट्रेनिंग
पठान खान की कहानी 2013 में शुरू हुई, जब वह पाकिस्तान गया. वहां उसकी मुलाकात ISI अधिकारियों से हुई, जिन्होंने उसे पैसे का लालच देकर जासूसी के लिए तैयार किया. उसे 15 दिन की जासूसी ट्रेनिंग दी गई, जिसमें सोशल मीडिया और मोबाइल के जरिए गोपनीय जानकारी भेजना सिखाया गया. बाद में, उसने रिश्तेदारों से मिलने का बहाना करके कई बार पाकिस्तान का दौरा किया. लेकिन असल में वह ISI हैंडलर्स से मिलने के लिए जाता था. उसने भारतीय सिम कार्ड्स ISI को दिए, जिनका इस्तेमाल संवेदनशील जानकारी भेजने में हुआ. जांच में उसके मोबाइल से कई संदिग्ध वीडियो और तस्वीरें बरामद हुईं, जो सीमा पर BSF और सेना की गतिविधियों से जुड़ी थीं.
भारत-पाक सीमा के नजदीक है पठान खान का खेत
पठान खान ने बेहद चालाकी से जासूसी की. वह खुद को एक साधारण किसान बताता था. उसका खेत जैसलमेर के जीरो आरडी इलाके में था, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब है. उसने सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर ISI को जानकारी भेजी. उसे ISI से पैसे, सोने की अंगूठी और अन्य इनाम मिलते थे. उसकी गतिविधियां इतनी गोपनीय थीं कि 12 साल तक वह पकड़ में नहीं आया.
पठान खान के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 के तहत मामला दर्ज किया गया है. जयपुर में अब उससे पूछताछ की जा रही है. जांच एजेंसियां उसके फोन, बैंक खातों और संपर्कों की गहन जांच कर रही हैं. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उसने कितनी जानकारी लीक की और क्या वह किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था. पठान खान की गिरफ्तारी ने ISI की साजिश को बेनकाब कर दिया, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है. यह वक्त है सतर्क रहने का. हमारी सेना और खुफिया एजेंसियां दिन-रात मेहनत कर रही हैं, लेकिन हमें भी जागरूक होना होगा. सोशल मीडिया या आसपास कोई संदिग्ध गतिविधियां दिखें तो सुरक्षा एजेंसियों को इसकी जानकारी जरूर दें ताकि फिर कोई पहलगाम जैसा हमला करने की हिम्मत नहीं कर सके.
