Rajasthan : राजस्थान की धरती पर अब किसान आंदोलन की आग धधक उठी है! चक्का जाम के बाद अब आंदोलन और उग्र होगा. गुस्साए किसानों ने साफ ऐलान कर दिया है कि अब न चेतावनी होगी और ना ही अपील, अब सिर्फ आर-पार की लड़ाई होगी. हाईवे जाम, ट्रैक्टरों का हुजूम और सरकार के खिलाफ गरजती आवाजें… ये महज एक शुरुआत है. जब तक किसानों को अपना हक नहीं मिलेगा, तब तक किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं. किसानों के इस आंदोलन से भजनलाल सरकार की टेंशन बढ़ गई है और सरकार आंदोलन को रोकने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है.
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के श्रीगंगानगर की जहां किसानों ने सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन छेड़ रखा है. इंदिरा गांधी नहर परियोजना में पानी की कमी से जूझ रहे किसानों का चक्काजाम रविवार को भी जारी रहा.अब किसानों ने आंदोलन को और तेज करने का निर्णय ले लिया है. दरअसल, रविवार को एडीएम अशोक सांगवा और एडिशनल एसपी भंवरलाल की मध्यस्थता से जल संसाधन विभाग के हनुमानगढ़ एसई रेगुलेशन व एसई श्रीविजयनगर और किसानों के प्रतिनिधिमंडल की चार दौर की वार्ताएं हुईं जो विफल हो गईं. क्योंकि हर बार अधिकारियों ने नहर में पानी नहीं होने का हवाला देकर सिंचाई के लिए पानी देने से साफ इनकार कर दिया.
किसान नेताओं का कहना है कि सीएम भजनलाल और उनके सिंचाई मंत्री दोनों को नहरी तंत्र के बारे में जानकारी नहीं है. इसलिए जल संसाधन विभाग के अधिकारी उन्हें गुमराह कर रहे हैं. अगर फसलों के लिए पानी नहीं दिया गया तो सोमवार से पूरे प्रथम चरण में आंदोलन को तेज किया जाएगा.
खाजूवाला में होगी महापंचायत
इसके लिए सोमवार को बीकानेर के खाजूवाला में किसानों की महापंचायत होगी और उसके बाद 18 फरवरी को लूणकरणसर में किसानों की ओर से ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. दूसरी तरफ 19 फरवरी को हनुमानगढ़ के खुईयां में किसानों की बड़ी सभा बुलाई गई है. किसानों ने बताया कि अगर इसके बाद भी मांगे नहीं मानी गई तो सूरतगढ़ और विरधवाल हैड समेत अन्य जगहों पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा. इस आंदोलन को विधायक बलवान पूनिया, मंगेश चौधरी और सूरतगढ़ से भागीरथ जाखड़ समेत कई किसान नेताओं ने समर्थन दिया है.
दूसरी तरफ राजस्थान की भजनलाल सरकार इस आंदोलन को रोकने के लिए एडी चोटी का जोर लगाए हुए हैं और प्रशासन को पूरी तरह से अलर्ट कर दिया गया है. आंदोलन की निगरानी करने के लिए सरकार ने डीआईजी, एसपी समेत कई अधिकारियों व सैकड़ों जवानों को मौके पर तैनात किया है. इसके साथ ही शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए वाटर कैनन और दंगारोधी विशेष वाहन तैनात किए गए है और आंदोलन पर पैनी नजर रखी जा रही है.
किसानों की ये हैं मांगें
अब हम जानते हैं कि आखिर किसानों की क्या मांगे हैं और वे आंदोलन करने पर क्यों उतारू है. इसके साथ ही सरकार उनकी मांगों को क्यों नहीं पूरा कर पा रही है. दरअसल, पश्चिमी राजस्थान के किसान चना, गेहूं, सरसों और इसबगोल जैसी फसलों की खेती पर निर्भर हैं, लेकिन इस बार इंदिरा गांधी नहर परियोजना में पानी की भारी कमी से उनकी फसलें सूखने के कगार पर हैं. किसानों का कहना है कि यदि जल्द सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला तो उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो जाएगी. किसानों का कहना है कि यह सिर्फ उनका नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के लाखों किसानों का मुद्दा है, जो नहर के पानी पर निर्भर हैं. किसानों की सरकार से मांग है कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण के किसानों को जल्द सिंचाई का पानी उपलब्ध कराया जाए. नहर की मरम्मत और जल प्रबंधन में सुधार किया जाए, ताकि पानी की कमी की समस्या दोबारा न हो. इसके साथ ही फसल बर्बादी से बचाने के लिए सरकार मुआवजे की घोषणा करे. वहीं दूसरी तरफ सरकार नहर में पानी की कमी बताकर इससे अपना पल्ला झाड़ रही है. अब देखने वाली बात होगी कि आखिर सरकार और किसानों के बीच किस पॉइंट पर जाकर सहमति बनती है.
