Rajasthan : देवली-उनियारा के समरावता गांव में विधानसभा उपचुनाव के दिन SDM को थप्पड़ मारने वाले नरेश मीणा की कहानी अब नया मोड ले चुकी है. टोंक जेल में जान का खतरा, हथियारों की मौजूदगी का सनसनीखेज दावा, और बूंदी जेल में शिफ्ट किए जाने की कहानी. क्या सच में टोंक जेल में नरेश मीणा की जान को खतरा था जिसकी वजह से उसे बूंदी शिफ्ट किया गया. इस खबर में हम बात करेंगे कि आखिर क्या है इस पूरे मामले का सच?
13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में माहौल गर्म था. गांववाले वोटिंग का बहिष्कार कर रहे थे और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे थे. आरोप था कि प्रशासन जबरन वोटिंग करवा रहा है. इसी बीच पोलिंग बूथ पर नरेश मीणा और SDM अमित चौधरी का आमना-सामना हुआ. नरेश ने गुस्से में आकर SDM को थप्पड़ जड़ दिया. रात होते-होते गांव में हिंसा भड़क उठी. गाड़ियों में आग, पथराव, लाठीचार्ज, और आंसू गैस के गोले. अगले दिन, 14 नवंबर को पुलिस ने नरेश मीणा को धरना स्थल से गिरफ्तार कर लिया. 15 नवंबर को नरेश को टोंक जेल भेज दिया गया. लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती.
नरेश मीणा बोले- मेरी जान को खतरा था
नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. लेकिन असली सनसनी तब शुरू हुई, जब नरेश ने टोंक जेल में अपनी जान को खतरा होने का दावा किया. सोमवार को SC-ST कोर्ट टोंक में पेशी के दौरान नरेश ने सनसनीखेज खुलासा किया कि टोंक जेल में हथियार मौजूद थे, और उनकी जान को गंभीर खतरा था. मार्च में नरेश ने अपने परिजनों को यह बात बताई, जिसके बाद उनके पिता कल्याण सिंह मीणा ने 21 मार्च को मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर नरेश को बूंदी जेल में शिफ्ट करने की मांग की. सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और 22 मार्च को नरेश को टोंक से बूंदी जेल शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन सवाल यह है कि आखिर टोंक जेल में ऐसी क्या परिस्थितियां थीं, जो नरेश को अपनी जान का डर सताने लगा? क्या यह सिर्फ एक दावा है, या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है?
चार्ज बहस 9 मई तक टली
नरेश मीणा की कोर्ट पेशी हर बार सुर्खियां बटोरती है. सोमवार को बूंदी जेल से टोंक SC-ST कोर्ट में चार्ज बहस के लिए नरेश को कड़ी सुरक्षा में लाया गया था. लेकिन नए जज के कार्यभार नहीं संभालने के कारण चार्ज बहस टल गई, और कोर्ट ने 9 मई की नई तारीख दी. चार्ज बहस का मतलब है कि पुलिस ने नरेश पर जो आरोप लगाए हैं, उन पर नरेश के वकील आपत्ति जता रहे हैं. लेकिन कोर्ट में सुनवाई से ज्यादा चर्चा समर्थकों की नारेबाजी की रही. जैसे ही नरेश को कोर्ट में लाया गया, उनके समर्थक कोर्ट परिसर में जमा हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी. पुलिस ने सख्ती बरती, लेकिन समर्थकों का जोश कम नहीं हुआ. नरेश के समर्थक सरपंच संघ जिलाध्यक्ष मुकेश मीणा और सूर्याबास सरपंच आरडी गुर्जर ने चेतावनी दी कि अगर मुख्यमंत्री ने जल्द नरेश की रिहाई का वादा पूरा नहीं किया, तो 15 मई से जयपुर में अनशन शुरू होगा.
समर्थकों ने दी आंदोलन की चेतावनी
नरेश मीणा के समर्थकों का गुस्सा सिर्फ कोर्ट तक सीमित नहीं है. फरवरी में हजारों समर्थकों ने जयपुर कूच का ऐलान किया था. इसकी भनक लगते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 19 फरवरी को नरेश के पिता कल्याण सिंह मीणा से फोन पर बात की और जयपुर बुलाया. मुलाकात में नरेश के पिता और समर्थकों ने कई मांगें रखीं जिसमें नरेश की रिहाई और SDM अमित चौधरी पर कार्रवाई की बात भी शामिल थी. मुख्यमंत्री ने एक महीने में मांगें पूरी करने का वादा किया, जिसके बाद जयपुर कूच का कार्यक्रम रद्द हुआ. नरेश ने कोर्ट में दावा किया कि CM ने 23 मार्च तक उनकी रिहाई का आश्वासन दिया था, लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी वादा पूरा नहीं हुआ. अब समर्थक फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं.
नरेश मीणा की कहानी अभी यहीं खत्म नहीं हुई है. एक थप्पड़ ने न सिर्फ उनकी जिंदगी, बल्कि राजस्थान की सियासत को भी हिलाकर रख दिया. नरेश के टोंक जेल में हथियारों के दावे ने प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. दूसरी तरफ, समरावता हिंसा में पीड़ितों को मुआवजा और गांव को उनियारा उपखंड में जोड़ने की मांग अब भी अधूरी है. क्या नरेश को जमानत मिलेगी? क्या मुख्यमंत्री अपने वादे निभाएंगे? और सबसे बड़ा सवाल ये है कि टोंक जेल में हथियारों का दावा कितना सच है? इन सवालों के जवाब के लिए फिलहाल हमें इंतजार करना होगा.
