Rajasthan : सपनों को सच करने की जिद, मेहनत की आग, और UPSC जैसी कठिन परीक्षा में 533वीं रैंक. राजस्थान की बेटी पूर्वा चौधरी ने वो कर दिखाया, जो लाखों लोगों का सपना होता है. लेकिन उनकी इस उपलब्धि पर तालियां नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की बौछार हो रही है. क्योंकि कुछ लोग उनके OBC-NCL सर्टिफिकेट पर सवाल उठा रहे हैं. मामला इस कदर बढ़ गया कि इस मुद्दे पर उनके RAS अधिकारी पिता को भी सफाई देनी पड़ी. इस खबर में हम बात करेंगे कि आखिर क्या है ये विवाद जिसको लेकर सोशल मीडिया पर इतना हंगामा मचा हुआ है?
हनुमानगढ़ जिले के बोलांवाली गांव की रहने वाली पूर्वा चौधरी ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 533वीं रैंक हासिल की है. लिखित परीक्षा में 771 और इंटरव्यू में 165 नंबर के साथ उन्होंने कुल 936 अंक प्राप्त किए. उनकी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई, और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की. सोशल मीडिया पर उनकी ग्लैमरस तस्वीरें पहले से ही वायरल थीं, लेकिन रिजल्ट के बाद उनकी बहन नव्या सहारण की एक रील ने उन्हें और चर्चा में ला दिया. लेकिन ये चर्चा जल्द ही विवाद में बदल गई. लोग उनकी मेहनत को देखने के बजाय उनके OBC नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट पर सवाल उठाने लगे.
एक यूजर ने लिखा कि करोड़पति होकर OBC-NCL की सीट खा गई. दूसरे ने पूछा कि क्या EWS या डिसएबिलिटी कोटा भी मिसयूज किया? ट्रोलर्स का आरोप था कि पूर्वा के पिता ओमप्रकाश सहारण RAS अधिकारी हैं और उनकी सैलरी व लाइफस्टाइल नॉन-क्रीमी लेयर की 8 लाख वार्षिक आय की सीमा से ज्यादा है. इस विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि पूर्वा को अपना इंस्टाग्राम अकाउंट डिएक्टिवेट करना पड़ा. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आरोप सही हैं या ये सिर्फ एक सफल लड़की को नीचा दिखाने की साजिश है?
पूर्वा के पिता ने मामले को लेकर दी सफाई
विवाद इतना बढ़ गया कि पूर्वा के पिता ओमप्रकाश सहारण को सामने आकर सफाई देनी पड़ी. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोप ‘झूठे और निराधार’ हैं. अगर कोई व्यक्ति 40 साल की उम्र से पहले क्लास-1 या क्लास-2 पद पर डायरेक्ट भर्ती या प्रमोशन से पहुंचता है तो उसका परिवार OBC-NCL लाभ से वंचित हो जाता है. लेकिन ओमप्रकाश का कहना है कि वो इन नियमों के दायरे में नहीं आते. क्योंकि जब वह आरएएस अधिकारी बने थे तब उनकी उम्र 44 साल थी. इसलिए उनकी बेटी ने कोई गलत काम नहीं किया.
पूर्वा के मामले ने UPSC और आरक्षण नीतियों पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है. कुछ लोग इसे सामाजिक न्याय के लिए जरूरी मानते हैं, तो कुछ इसे ‘रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन’ कहकर खारिज करते हैं. सोशल मीडिया ने इस बहस को और हवा दी, लेकिन कई बार ये ट्रोलिंग व्यक्तिगत हमले में बदल जाती है. पूर्वा की खूबसूरती और उपलब्धि पर कमेंट्स उनकी मेहनत को कमतर करने की कोशिश करते हैं. UPSC जैसी परीक्षा पास करना कोई मजाक नहीं, फिर भी पूर्वा चौधरी को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ रहा है.
