Waqf Boards : वक्फ संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है. लेकिन भारत में वक्फ की सच्चाई को बहुत ही कम लोग जानते हैं. देशभर में वक्फ बोर्ड के पास अरबों रुपये की संपत्ति है. जमीनें, मस्जिदें, दरगाहें, कमर्शियल बिल्डिंग्स, एक से बढ़कर एक. लेकिन सवाल ये है कि इतनी दौलत होते हुए भी मुस्लिम समुदाय आज सबसे ज्यादा गरीब, सबसे ज्यादा अशिक्षित, और सबसे ज्यादा हाशिए पर क्यों है? कौम के नाम पर बनी संपत्ति, कौम तक क्यों नहीं पहुंचती? क्या वक्फ बोर्डों की इस दौलत के रखवाले ही लुटेरे बने बैठे हैं? आज हम बात करेंगे उस सिस्टम जिसे ‘वक्फ’ कहते हैं लेकिन जो मुस्लिम समुदाय के विकास और शिक्षा से कोसो दूर है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में करीब 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं. वक्फ बोर्ड के पास 9.4 लाख एकड़ जमीन है जो भारत में रक्षा मंत्रालय और रेलवे के बाद तीसरे स्थान पर है. देश के जिन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा वक्फ की संपत्तियां हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल हैं.
ये संपत्तियां मुसलमानों की भलाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के लिए वक्फ की गई थीं. लेकिन आज इनके प्रबंधन पर सवालिया निशान हैं. हर साल इनसे करोड़ों की कमाई हो सकती है, लेकिन हकीकत ये है कि इनसे होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा या तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है या फिर उसका कोई यूज नहीं होता. वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समाज में कई बच्चे फीस की वजह से स्कूल छोड़ देते हैं और कई माएं दवाओं के लिए तरस जाती है. लेकिन वक्फ बोर्ड के प्रबंधक समाज की इस दशा से आंख मूंद कर बैठे हैं.
भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके हैं वक्फ बोर्ड
वक्फ बोर्ड का नाम सुनते ही आपके दिमाग में कौन आता है? एक मज़बूत संस्था जो समाज की सेवा करती है या फिर एक ऐसा बोर्ड जो सियासी कब्जों, भ्रष्ट अफसरों और बिना हिसाब-किताब की लूट का अड्डा बन चुका है? बिना ऑडिट, बिना पारदर्शिता और बिना किसी जवाबदेही के ये संपत्तियां भ्रष्ट सिस्टम की भेंट चढ़ जाती है. वक्फ की दुकानों से मिलने वाला किराया कहां जाता है? जवाब किसी के पास नहीं, क्योंकि सवाल पूछने वाला भी कोई नहीं.
आम जनता के लिए यूज होनी चाहिए वक्फ की संपत्ति
हर चुनाव में वक्फ का ज़िक्र होता है. मुसलमानों की तरक्की की बात होती है. लेकिन हकीकत ये है कि वक्फ सिर्फ एक ‘वोट बैंक मैनेजमेंट टूल’ बनकर रह गया है. कभी धर्म के नाम पर तो कभी राजनीति के नाम पर, इसकी दौलत पर वो लोग मौज कर रहे हैं, जिनका समाज की तकलीफों से कोई वास्ता नहीं. और जब कोई इसे ठीक करने की बात करता है, तो उसे ‘मज़हबी हमला’ कहकर चुप करा दिया जाता है. क्या मुसलमानों की गरीबी पर सवाल उठाना गुनाह है? अब वक्त आ गया है कि वक्फ की दौलत को आम जनता की दौलत बनाया जाए. हर वक्फ संपत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड बनना चाहिए. हर कमाई का हिसाब जनता के सामने आना चाहिए. वक्फ की संपत्ति का उपयोग स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल और बच्चों के लिए स्कॉलरशिप में होना चाहिए. वक्फ बोर्ड को पारदर्शी, गैर-राजनीतिक और जवाबदेह बनाने की जरूरत है. क्योंकि वक्फ की दौलत अगर सही जगह लगे तो मुस्लिम समाज में न तो कोई बच्चा अशिक्षित रहेगा और न ही कोई बेरोजगार रहेगा.
