India Vs Pak : क्या भारत-पाक युद्ध से चीन-अमेरिका को होगा फायदा? हकीकत जानकर चौंक जाएंगे आप

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India Vs Pak : जब भारत और पाकिस्तान के बीच मिसाइलों से जंग शुरू हो चुकी है तो इसकी गूंज वॉशिंगटन और बीजिंग तक जा रही है. ये सिर्फ दो पड़ोसियों की लड़ाई नहीं, बल्कि यह लड़ाई असल में चीन बनाम अमेरिका की है. क्योंकि ये जंग दुनिया के दो शक्तिशाली देशों के हथियारों से लड़ी जा रही है. दुनिया के दो सबसे ताकतवर देश अब दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव जमाने के लिए कमर कस चुके हैं. इस खबर में हम जानेंगे कि कैसे भारत-पाक युद्ध से चीन-अमेरिका फायदा उठाने में लगे हुए हैं?

पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा की गई एयरस्ट्राइक ने सिर्फ पाकिस्तान को नहीं, बल्कि बीजिंग और वॉशिंगटन को भी चेताया. अमेरिका ने खुलकर भारत का समर्थन किया, जबकि चीन ने पाकिस्तान को ‘आयरन ब्रदर’ बताते हुए खुलेआम सपोर्ट किया. इस मामले को लेकर पूर्व डिप्लोमेट एशले टेलिस ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया है कि अमेरिका अब भारत के सुरक्षा हितों का केंद्र बन गया है, जबकि चीन ने पाकिस्तान के लिए वही भूमिका निभानी शुरू कर दी है. यानी भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का सीधे तौर पर मतलब है कि यह लड़ाई अमेरिका बनाम चीन के हथियारों के बीच होगी.

भारत ने रूसी हथियारों से बनाई दूरी

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि भारत अब रूसी हथियारों से दूरी बनाकर अमेरिकी, फ्रांसीसी और इजराइली हथियारों पर भरोसा कर रहा है. 2006-2010 के दौरान भारत के 80% सैन्य हथियार रूस से आते थे, लेकिन 2020 तक ये घटकर लगभग 38% रह गए हैं. इसकी जगह अब अमेरिका, फ्रांस और इजराइल जैसे देशों ने ले ली है. मतलब साफ है कि अब भारत खुले अमेरिकी समर्थन को प्राथमिकता दे रहा है.

पाकिस्तान हथियारों के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर

वहीं पाकिस्तान के अधिकांश हथियार और लड़ाकू विमान अब चीनी कंपनियों से आ रहे हैं. पाकिस्तान, जो कभी अमेरिकी हथियारों पर निर्भर था, अब लगभग 80% हथियार चीन से खरीद रहा है. इस तरह अब पूरी तरह से दो गुट बन चुके हैं. एक तरफ भारत-अमेरिका और दूसरी तरफ पाकिस्तान व चीन. अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद पाकिस्तान की अमेरिका में रणनीतिक भूमिका लगभग समाप्त हो चुकी है. जहां कभी अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते सहयोग का मॉडल थे, अब वहां अविश्वास और दूरी है. पाकिस्तान ने इस खाली जगह को चीन से भर लिया है. चीन का चीन-पाक आर्थिक कॉरिडोर हो या सैन्य सहयोग, अब इस्लामाबाद पूरी तरह बीजिंग के पाले में खड़ा है.

अमेरिका-चीन उठा सकते हैं फायदा

युद्ध की स्थिति में भारत और पाकिस्‍तान अपने सैन्य बलों को मजबूत करने के लिए हथियारों की खरीद बढ़ा सकते हैं. अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. वहीं चीन भी लगातार पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करता रहा है. ऐसे में दोनों देश हथियार बेचकर अपना मुनाफा कमा सकते हैं. अमेरिका इस संघर्ष में मध्यस्थता करने या किसी एक पक्ष का समर्थन करने की भूमिका भी निभा सकता है. इससे क्षेत्र में उसका राजनीतिक प्रभाव बढ़ सकता है.

भारत-पाकिस्तान के बीच शुरू हुआ युद्ध अब अमेरिका बनाम चीन की लड़ाई बन गया है. इस युद्ध के जरिए अमेरिका और चीन दोनों अपने हथियारों को खपा रहे हैं और इससे दोनों देशों को जबरदस्त फायदा हो सकता है. अगर यह टकराव आगे बढ़ता है तो दक्षिण एशिया सिर्फ बारूद का ढेर नहीं बनेगा बल्कि यह एक नए वैश्विक ऑर्डर की प्रयोगशाला भी बन सकता है. हालांकि यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहा टकराव कहां जाकर रुकेगा. लेकिन एक बात तो तय है कि ये टकराव अभी जल्द खत्म होने वाला नहीं है.

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Author: thebawal

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